हिरोशिमा दिवस की पूर्व संध्या पर धर्मगुरूओं ने की विश्व एकता व विश्व शान्ति की अपील
लखनऊ, 5 अगस्त। सी.एम.एस.
गोमती नगर
ऑडिटोरियम में
आयोजित ‘ग्लोबल इण्टरफेथ कन्वेन्शन’ में आज
हिरोशिमा दिवस
की पूर्व
संध्या पर
देश-विदेश
के विभिन्न धर्मगुरूओं ने
आज एक
स्वर से
कहा कि
वैश्विक समाज
में धर्म
के आधार
पर बढ़
रहे वैमनस्य को देखते
हुए विश्व
एकता व विश्व शान्ति ही मानवता के विकास
व उत्थान का एकमात्र विकल्प है
और हम
सभी को
मिलजुलकर इस
सपने को
साकार करने
में जुट
जाना चाहिए। हिरोशिमा त्रासदी की याद
दिलाते हुए
विद्वजनों ने
कहा कि
यह विश्व
समाज अब
हिरोशिमा व नागासाकी जैसे
और आघात
अब नहीं
सह सकता
है। इसके
अलावा, इस ‘ग्लोबल इण्टरफेथ सम्मेलन’ में जापान, रूस, स्विटजरलैंड, ब्राजील, अमेरिका, इजिप्ट, जर्मनी, सिंगापुर, फिलीपीन्स, मलेशिया, यू.ए.ई. एवं थाईलैण्ड के
विभिन्न धर्मो
के अनुयाईयों, विचारकों, शिक्षाविद्ों व अन्य
प्रबुद्ध हस्तियों ने ऑनलाइन प्रतिभाग कर
बड़े ही
सारगर्भित विचार
रखे।
इससे पहले,
सम्मेलन की
मुख्य अतिथि
व लखनऊ
की मेयर
श्रीमती संयुक्ता भाटिया ने
सम्मेलन का
विधिवत् उद्घाटन किया। इस
अवसर पर
अपने संबोधन में श्रीमती भाटिया ने
कहा कि
लखनऊ का
मेयर होने
के नाते
मैं लखनऊ
के सभी
धर्मगुरूओं का
हार्दिक स्वागत करती हूँ।
मुझे पूरा
विश्वास है
कि इस
सम्मेलन के
माध्यम से
आप सभी
सारी मानवजाति को प्रेम,
एकता व भाईचारा को
संदेश देने
में अवश्य
सफल होंगे। श्रीमती भाटिया ने कहा
कि सभी
धर्मों की
आधारशिला मानव
मात्र की
एकता है।
हमें सभी
धर्मों का
आदर करते
हुए मानव
मात्र के
कल्याण के
लिए काम
करना चाहिए।
सम्मेलन में
बहाई धर्म
का प्रतिनिधित्व करते हुए
सी.एम.एस. संस्थापक व प्रख्यात शिक्षाविद् डा.
जगदीश गाँधी
ने कहा
कि जापान
के शहर
हिरोशिमा व नागाशाकी की
त्रासदी मानव
इतिहास का
एक महत्वपूर्ण मोड़ है
जो हमें
याद दिलाता है कि
एकता, शान्ति व सौहार्द के अभाव
में विध्वसं का कहर
कितना भयानक
हो सकता
है। ईसाई
धर्म का
प्रतिनिधित्व करते
हुए फादर
डोनाल्ड डिसूजा ने कहा
कि हम
सभी को
मिल जुल
कर रहना
चाहिए क्योंकि हमारे देश
को सभी
धर्मों के
सहयोग की
जरूरत है।
जैन धर्म
का प्रतिनिधित्व करते हुए
श्री शैलेन्द्र जैन ने
कहा कि
देश के
विकास में
धर्म का
अभिन्न रोल
होता है।
सभी धर्मों के सहयोग
से ही
राष्ट्र विकसित होता है।
हिन्दू धर्मावलम्बी श्री मधु
स्मिता दास
का कहना
था कि
आध्यात्मिकता वह
समानता का
धागा है
जो सभी
धर्मों को
एकता के
सूत्र में
बाँधता है।
इस्लाम धर्म
का प्रतिनिधित्व करते हुए
मौलाना खालिद
रशीद फिरंगी महली ने
कहा कि
समाज तभी
विकसित होगा,
जब सभी
एक होकर
कार्य करेंगे। इसी प्रकार, बौद्ध धर्म
से श्री
भीखू ज्ञानलोक, सिख धर्म
से श्री
हरपाल सिंह
जग्गी,इस्लाम धर्म से
मौलाना डा.
कल्बे सिब्तेन (नूरी) व मोहम्मद मौलाना यासूब अब्बास आदि कई
विद्वजनों ने
सारगर्भित विचार
रखे। इसके
अलावा, स्विटजरलैंड से श्री
एलिन वेयर,
जापान से
सुश्री मसामी
सायोन्जी, सुश्री क्योको होशिनो व सुश्री मसाशी मियाको, रूस से
सुश्री नीना
गोन्चारोवा, श्री सर्गे चेवाल्कोव, स्टैनिस्लॉव कजाकोव, डा. कैटरीना कबाझिडे, अमेरिका से डा.
हांग टो
जी व अन्य अनेक
वक्ताओं ने
ऑनलाइन अपने
विचार रखे।
इस अवसर
पर आयोजित एक प्रेस
कान्फ्रेन्स में
सम्मेलन में
पधारे विभिन्न धर्मानुयाइयों ने
पत्रकारों से
बातचीत की
और सम्मेलन के उद्देश्व व उपयोगिता पर खुलकर
अपने विचार
रखे। इस
अवसर पर
बुद्धिजीवियों ने
कहा कि
आज हम
निर्णायक मोड़
पर खड़े
हैं जहाँ
हमें यह
तय करना
है कि
हमें कैसा
समाज चाहिए। कोरोना महामारी ने सम्पूर्ण समाज को,
विश्व जगत
को आईना
दिखा दिया
है कि
मिजजुलकर रहने
व सहयोग
की भावना
में ही
सबकी भलाई
है। अन्त
में, सम्मेलन के संयोजक व सी.एम.एस.
के इण्टरनेशनल रिलेशन्स विभाग
के हेड
श्री शिशिर
श्रीवास्तव ने
सभी धर्मगुरूओं व देश-विदेश के
सभी प्रबुद्धजनों का हार्दिक आभार व्यक्त किया।
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