12वीं की बोर्ड परीक्षा पर पुनर्विचार करें सरकार-डा. जगदीश गाँधी
लखनऊ, 9 जून। आज
जबकि भारत
सरकार एवं
राज्य सरकारों के अथक
प्रयास से
देश भर
में कोरोना संक्रमण की
रफ्तार पर
लगभग पूरी
तरह से
नियंत्रण हो
चुका है,
और देश
के कई
राज्यों में
लॉकडाउन भी
खत्म हो
चुका है,
ऐसे में
कड़ी मेहनत
करने वाले
मेधावी छात्रों के साथ
अन्याय को
रोकने के
लिए सी.बी.एस.ई. बोर्ड को 12वीं कक्षा के
बोर्ड परीक्षा को करवा
देना चाहिए। यह कहना
है शिक्षाविद् एवं गिनीज
बुक ऑफ
वल्र्ड रिकार्ड में एक
ही शहर
में सबसे
अधिक बच्चों की संख्या (वर्तमान में
55000) वाले सिटी
मोन्टेसरी स्कूल
के संस्थापक-प्रबंधक डॉ.जगदीश गाँधी का।
डॉ.गाँधी ने
कहा कि
12वीं कक्षा
की बोर्ड
परीक्षा को
रद्द करने
से निर्णय से उत्पन्न परिस्थतियों में
सभी छात्रों का एक
वैध एवं
पारदर्शी मूल्यांकन संभव नहीं
है। ऐसे
में देश
भर के
मेधावी छात्र
उच्च शिक्षा के लिए
देश-विदेश
के प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों में
अपने प्रवेश को लेकर
चिंतित है।
उनका कहना
है कि
यदि स्कूलों द्वारा दिये
गये अंकों
के आधार
पर परीक्षाफल घोषित किया
जाता है,
तो ऐसे
में उन
मेधावी छात्रों के साथ
अन्याय होगा,
जिन्होंने 2 साल तक लगातार बोर्ड परीक्षा की तैयारी की है।
इसके साथ
ही एक
डर यह
भी है
कि एवं
वैध एवं
पारदर्शी मूल्यांकन प्रणाली के
अभाव में
स्कूल जहाँ
मनमानी रूप
से बच्चों को नंबर
दे सकते
हैं, तो वहीं मेधावी छात्रों का
कमजोर छात्रों के साथ
मूल्यांकन करना
भी मेधावी छात्रों के
साथ अन्याय होगा।
डॉ.गाँधी ने
कहा कि
कक्षा 12 की बोर्ड परीक्षा के अंक
विश्वविद्यालयों में
प्रवेश के
लिए कट-आफ प्रतिशत को परिभाषित करते हुए
प्रवेश प्रक्रिया को सरल,
पारदर्शी और
निष्पक्ष बनाता
है। इसलिए
अगर छात्रों की बोर्ड
परीक्षा नहीं
करवायी जाती
तो विश्वविद्यालय में प्रवेश के लिए
उनका कट ऑफ
प्रतिशत कैसे
निर्धारित होगा?
और कट
आॅफ प्रतिशत निर्धारित न होने की
दशा में
छात्रों की
एक बहुत
बड़ी संख्या स्नातक प्रवेश परीक्षा में
शामिल होगी
और उस
दशा में
किसी भी
विश्वविद्यालय के
लिए इतनी
बड़ी संख्या में छात्रों की प्रवेश परीक्षा आयोजित करना बहुत
टेढ़ी खीर
साबित हो
सकती है।
यदि फिर
भी विश्वविद्यालयों द्वारा देश
भर के
करोड़ों बच्चों की प्रवेश परीक्षा करायी
जाती है
तो बोर्ड
परीक्षा भी
कराने में
कोई दुविधा नहीं होनी
चाहिए। इसलिए
भारत सरकार
को देश
भर के
मेधावी छात्रों के हित
को ध्यान
में रखते
हुए 12वी बोर्ड परीक्षा को रद्द
करने के
अपने फैसले
पर एक
बार पुनः
विचार करना
चाहिए।
डॉ.गाँधी ने
कहा कि
सी.बी.एस.ई.
की 12वीं की परीक्षा को रद्द
करते समय
बोर्ड द्वारा इस बात
का विकल्प खुला रखा
गया था
कि आने
वाले समय
में कोरोना महामारी के
नियंत्रित होने
पर बोर्ड
परीक्षाओं को
आयोजित करवाया जा सकता
है। साथ
ही केन्द्रीय शिक्षा मंत्रालय ने नीट
और जेईई
की परीक्षाओं को आयोजित करने का
निर्णय लिया
है और
नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) अगले हते
तक नीट
और जेईई
से जुड़ी
परीक्षा का
कार्यक्रम जारी
करने जा
रही है।
ऐसे में
अब जब
कि भारत
सरकार एवं
राज्य सरकारों के अथक
प्रयास से
ऐसा प्रतीत हो रहा
है कि
जुलाई माह
तक देश
भर से
कोरोना मरीजों की संख्या लगभग खत्म
हो जायेगी, सी.बी.एस.ई बोर्ड द्वारा कक्षा-12 की बोर्ड परीक्षाओं को अगस्त
में करवाना न केवल
छात्रों के
हित में
है बल्कि
राष्ट्र हित
में भी
है।
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