शिक्षा द्वारा 63 वर्षों से निरन्तर चल रहा सारी वसुधा को कुटुम्ब बनाने का अनूठा अभियान
- डॉ. जगदीश गाँधी, शिक्षाविद् एवं संस्थापक-प्रबन्धक, सिटी मोन्टेसरी स्कूल, लखनऊ
(1) शिक्षा द्वारा सारी वसुधा को कुटुम्ब बनाने का सीएमएस का अनूठा अभियान:-
सिटी मोन्टेसरी स्कूल,
लखनऊ की
नींव मेरी
पत्नी डॉ.
भारती गाँधी
तथा मैंने
मिलकर 1 जुलाई 1959 को किराये के मकान
में पड़ोसी
से 300/- रूपये उधार लेकर
डाली थी।
वर्ष 1959 में 5 बच्चों से
शुरू हुए
इस विद्यालय में आज
लखनऊ शहर
में स्थित
18 शाखाओं में
55,000 (पचपन हजार)
से अधिक
छात्र-छात्रायें मोन्टेसरी से
लेकर इण्टरमीडिएट कक्षाओं में
अध्ययनरत् हैं।
सीएमएस द्वारा अपनी स्थापना के समय
से ही
‘जय जगत’
को ध्येय
वाक्य के
रूप में
अपनाया गया
है। इस
विद्यालय के
सभी छात्र,
टीचर्स एवं
स्टॉफ के
सभी सदस्य
एक-दूसरे
को जय-जगत कहकर
अभिवादन करते
हैं। जय
जगत के
पीछे भावना
यह है
कि विश्व
का प्रत्येक व्यक्ति परमात्मा की राह
पर चले
तो किसी
की भी
पराजय नहीं
होगी बल्कि
सबकी जय
होगी अर्थात सारे जगत
का कल्याण हो।
(2) सीएमएस की विश्वव्यापी स्तर की अनूठी शिक्षा को शीर्ष अन्तर्राष्ट्रीय संस्थाओं ने मान्यता दी है:-
सीएमएस गिनीज बुक
ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड में
एक ही
शहर में
सबसे अधिक
55,000 बच्चों वाले
विश्व के
सबसे बड़े
विद्यालय के
रूप में
दर्ज है।
सीएमएस को
यूनेस्को द्वारा ‘अंतर्राष्ट्रीय शांति
शिक्षा पुरस्कार-2002’ से सम्मानित किया गया
है। यूनेस्को का यह
प्रतिष्ठित पुरस्कार भारत को
अभी तक
केवल दो
बार मिला
है, जिसमें पहली बार
यह पुरस्कार वर्ष 1992 में मदर टेरेसा को व दूसरी बार
वर्ष 2002 में विश्व एकता
एवं विश्व
शान्ति की
शिक्षा देने
के लिए
सिटी मोन्टेसरी स्कूल, लखनऊ को मिला
है। सीएमएस विश्व का
एकमात्र ऐसा
विद्यालय है
जिसे संयुक्त राष्ट्र संघ
ने अपने
अधिकृत एनजीओ
के रूप
में मान्यता भी दी
है।
(3) मनुष्य की भौतिक, सामाजिक तथा आध्यात्मिक तीन वास्तविकतायें होती हैं:-
आज आधुनिक विद्यालयों के द्वारा बच्चों को
एकांकी शिक्षा अर्थात केवल
भौतिक शिक्षा ही दी
जा रही
है, जबकि मनुष्य की
तीन वास्तविकतायें होती हैं।
पहला- मनुष्य एक भौतिक
प्राणी है,
दूसरा- मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है
तथा तीसरा
मनुष्य- एक आध्यात्मिक प्राणी है। इस
प्रकार मनुष्य के जीवन
में भौतिकता, सामाजिकता तथा
आध्यात्मिकता का
संतुलन जरूरी
है। यदि
आधुनिक विद्यालयों के द्वारा बालक को
केवल विषयों का भौतिक
ज्ञान दिया
जाये और
उसके सामाजिक एवं आध्यात्मिक गुणों को
बढ़ाने वाली
शिक्षा में
कमी कर
दी जायें
तो इससे
बालक असंतुलित व्यक्ति के
रूप में
विकसित हो
जायेगा। यहाँ
उल्लेखनीय है
कि सीएमएस में प्रत्येक बालक की
तीनों वास्तविकताओं को ध्यान
मंे रखते
हुए भौतिक,
सामाजिक तथा
आध्यात्मिक तीनों
प्रकार की
संतुलित शिक्षा देने के
लिए 2000 से अधिक टीचर्स तथा 1000 से अधिक कार्यकर्ता पूरे मनोयोग तथा समर्पित भाव से
रात-दिन
संलग्न हैं।
(4) सी.एम.एस. भौतिक शिक्षा के अन्तर्गत अपने प्रत्येक बालक को सभी विषयों को उत्कृष्ट ज्ञान दे रहा है:-
भौतिक शिक्षा के
अन्तर्गत सी.एम.एस.
अपने प्रत्येक बालक को
सभी विषयों को उत्कृष्ट ज्ञान दे
रहा है।
प्रत्येक वर्ष
की भांति
ही इस
वर्ष शैक्षिक सत्र 2020-2021 में हमारे छात्रों ने आई.एस.सी.
कक्षा 12 में पूरे देश
में भी
सर्वश्रेष्ठ रिजल्ट अर्जित कर
लखनऊ का
गौरव सारे
देश में
बढ़ाया है।
हमारे विद्यालय के 40 छात्रों ने आई.एस.सी.
की बोर्ड
परीक्षा में 99.75 प्रतिशत अंक अर्जित करने का
अद्भुत कारनामा कर दिखाया है, जिसकी मिसाल मिलना
मुश्किल है।
सी.एम.एस. के मेधावी छात्रों ने एक
बार फिर
से यह
साबित कर
दिया है
कि गुणात्मक शिक्षा के
क्षेत्र में
सिटी मोन्टेसरी स्कूल देश
का सबसे
सर्वश्रेष्ठ स्कूल
है। इस
वर्ष सी.एम.एस.
से कुल
6153 छात्र आई.एस.सी.
(कक्षा 12) एवं आई.सी.एस.ई.
(कक्षा 10) बोर्ड परीक्षाओं में
शामिल हुए,
जिसमें से
4439 छात्रों ने
90 प्रतिशत से
लेकर 99.75 प्रतिशत तक अंक
अर्जित किये
हैं। इन
छात्रों में
से 126 छात्रों ने 99 प्रतिशत से अधिक
अंक अर्जित किए हैं।
खास बात
यह है
कि सी.एम.एस.
के 40 छात्रों ने 99.75 प्रतिशत अंक अर्जित किये हैं।
इसके अलावा,
आई.एस.सी. एवं आई.सी.एस.ई.
बोर्ड परीक्षा में विद्यालय के 1909 छात्रों ने 95 प्रतिशत से अधिक
अंक अर्जित किये हैं।
शेष छात्रों ने भी
प्रथम श्रेणी के अत्यन्त उच्च अंक
अर्जित कर
सी.एम.एस. का गौरव बढ़ाया
है। उल्लेखनीय है कि
सीएमएस का
प्रतिवर्ष इसी
प्रकार का
देश का
सर्वश्रेष्ठ रिजल्ट आता है।
सीएमएस के
सर्वाधिक छात्र
प्रतिवर्ष अपनी
उत्कृष्ट प्रतिभा के बलबुते संसार के
प्रसिद्ध विश्वविद्यालयों में स्कॉलरशिप सहित दाखिले के लिए
चुने जाते
हैं। साथ
ही सर्वाधिक छात्र इंजीनियरिंग, मेडिकल, आईआईटी, नीट, क्लैट आदि में
चुने जाते
हैं।
(5) सामाजिक शिक्षा के अन्तर्गत सीएमएस प्रत्येक छात्र का विश्वव्यापी दृष्टिकोण विकसित कर रहा हैः -
सीएमएस वर्ष 2001 अर्थात विगत 21 वर्षों से भारतीय संविधान के
अनुच्छेद 51 पर अन्तर्राष्ट्रीय मुख्य
न्यायाधीश सम्मेलन का आयोजन
प्रतिवर्ष कर
रहा है।
विगत वर्ष
21वें अन्तर्राष्ट्रीय मुख्य न्यायाधीश सम्मेलन’ का आयोजन 6 से 9 नवम्बर 2020 तक कोविड-19 के चलते ऑनलाइन किया गया
था, इस ऐतिहासिक सम्मेलन का उद्घाटन मुख्य अतिथि
के रूप
में माननीय रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने
किया था।
प्रतिवर्ष आयोजित इन सम्मेलनों में विश्व
के विभिन्न देशों से
प्रतिभाग करने
पधारे मुख्य
न्यायाधीशों से
सीएमएस के
छात्र अन्तर्राष्ट्रीय समस्याओं तथा
उनके समाधान खोजने पर
चर्चा करते
हैं। मेरे
संयोजन में
वर्ष 2001 से 2020 तक प्रतिवर्ष आयोजित विश्व
के मुख्य
न्यायाधीशों के
अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलनों में अब
तक 136 देशों के 1329 मुख्य न्यायाधीश, न्यायाधीश, हेड ऑफ
दि स्टेट/गवर्नमेन्ट, संसद के स्पीकरों ने प्रतिभाग किया है।
इन सम्मेलनों में मुख्य
न्यायाधीशों, न्यायाधीशों, कानूनविदों एवं
शांति प्रचारकों ने प्रतिभाग करके विश्व
संसद, विश्व सरकार तथा
वर्ल्ड कोर्ट
ऑफ जस्टिस के गठन
को अपना
सर्वसम्मति से
समर्थन दिया
है। प्रत्येक वर्ष के
सम्मेलन के
अन्तर्गत विश्व
की प्रख्यात हस्तियों, न्यायविदों व कानूनविदों की गहन
परिचर्चा के
निष्कर्ष स्वरूप ‘लखनऊ घोषणा
पत्र’ जारी किया जाता
है। इस
घोषणा पत्र
को सभी
देशों व सरकारों के
प्रमुखों व मुख्य न्यायाधीशों के साथ-साथ संयुक्त राष्ट्र संघ
के महासचिव तथा क्षेत्रीय संस्थाओं जैसे
अफ्रीकन यूनियन, यूरोपियन यूनियन, एसियान आदि
के प्रमुखों को उनके
विचारार्थ और
यथा संभव
कार्यान्वयन हेतु
भेजा जाता
है।
(6) 20 अन्तर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं द्वारा बालक का विश्वव्यापी दृष्टिकोण का विकास किया जा रहा है:-
हमारे विद्यालय द्वारा विभिन्न शैक्षिक विषयों पर
सर्वाधिक 20 अन्तर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं का आयोजन
प्रतिवर्ष किया
जाता है।
जिसमें देश
के विभिन्न प्रान्तों तथा
विश्व के
विभिन्न देशों
की छात्र
टीमें प्रतिभाग करती हैं।
तथापि हमारे
विद्यालय की
सर्वाधिक छात्र
टीमें अन्य
देशों में
आयोजित अन्तर्राष्ट्रीय शैक्षिक प्रतियोगिताओं में प्रतिभाग करने जाती
रही हैं।
इसके अलावा
सीएमएस के
प्रत्येक सांस्कृतिक कार्यक्रम में
बच्चे वर्ल्ड सिटीजन की
ड्रेस पहनकर,
विश्व के
सभी देशों
के राष्ट्रीय ध्वज हाथों
में लेकर
जय जगत
का उद्घोष का करते
हैं। सीएमएस द्वारा आयोजित वर्ल्ड पार्लियामेन्ट तथा विश्व
एकता सत्संग के द्वारा बच्चे विश्वव्यापी समस्याओं के
समाधान खोजने
का प्रशिक्षण बाल्यावस्था से
प्राप्त कर
रहे हैं।
विगत 63 वर्षों से इन
सभी प्रयासों के द्वारा सीएमएस प्रत्येक बालक का
विश्वव्यापी दृष्टिकोण विकसित करके
उसे देश
के साथ
ही सारे
जगत का
एक जिम्मेदार विश्व नागरिक बना रहा
है। सीएमएस ने 21वीं सदी के
विश्व के
एक आधुनिक रोल मॉडल
स्कूल के
रूप में
अपनी एक
अलग और
विशिष्ट पहचान
बनायी है।
सीएमएस की
वसुधैव कुटुम्बकम् - जय जगत
की शिक्षा का अध्ययन करने के
लिए भारत
के विभिन्न प्रान्तों तथा
विश्व के
विभिन्न देशों
से समय-समय पर
छात्र, शिक्षक तथा प्रधानाचार्यगण आते हैं।
तथापि यहां
से
वसुधैव कुटुम्बकम् की
सीख लेकर
इस सार्वभौमिक विचार को
अपने-अपने
देश के
बच्चों को
भी दे
रहे हैं।
(7) सीएमएस प्रत्येक छात्र को सभी धर्मों की मूल शिक्षाओं को दे रहा है:-
आध्यात्मिक शिक्षा के
अन्तर्गत सीएमएस में रोजाना स्कूल प्रेयर एसेम्बली में
सर्व धर्म
प्रार्थना से
पढ़ाई की
शुरूआत होती
है। तथापि
वर्ल्ड यूनिटी प्रेयर के
द्वारा ‘सारे विश्व में
शान्ति हो’
की प्रार्थना की जाती
है। प्रत्येक बालक को
एक ही
परमपिता परमात्मा की ओर
से युग-युग में
अपने संदेशवाहकों के द्वारा भेजी गई
पवित्र ग्रन्थों- गीता, त्रिपटक, बाईबिल, कुरान शरीफ, गुरू ग्रन्थ साहिब,
किताबे अकदस
में संकलित परमात्मा की
एक जैसी
मूल शिक्षाओं का ज्ञान
कराया जा
रहा है
तथा परमात्मा की शिक्षाओं पर चलने
के लिए
प्रेरित किया
जा रहा
है। बच्चों को बताया
जा रहा
है कि
सभी संदेशवाहक राम, कृष्ण, बुद्ध, ईशु, मोहम्मद, मोजज, अब्राहम, जोरस्टर, महावीर, नानक, बहाउल्लाह एक
ही परमात्मा की ओर
से युग-युग में
धरती पर
आये हैं।
परमपिता परमात्मा का ज्ञान
किसी धर्म
विशेष के
अनुयायियों के
लिए नहीं
है बल्कि
सारी मानव
जाति के
लिए है।
सीएमएस के
द्वारा प्रत्येक रविवार को
विश्व एकता
सत्संग का
आयोजन किया
जाता है
जिसमें सभी
धर्मों को
मानने वाले
लोग एक
साथ शामिल
होते हैं।
इस विश्व
एकता सत्संग द्वारा संदेश
प्रसारित हो
रहा है
कि अब
एक ही
छत के
नीचे सब
धर्मों की
प्रार्थना होनी
चाहिए।
(8) शिक्षा सबसे शक्तिशाली हथियार है जिसके द्वारा विश्व में परिवर्तन लाया जा सकता है:-
सीएमएस का 63 वर्षों के व्यापक शैक्षिक अनुभव
के आधार
पर मानना
है कि
मनुष्य की
ओर से
सर्वशक्तिमान परमेश्वर को अर्पित की जाने
वाली समस्त
सम्भव सेवाओं में से
सर्वाधिक महान
सेवा है-
(अ) बच्चों की शिक्षा, (ब) उनके चरित्र का
निर्माण तथा
(स) उनके हृदय में
परमात्मा के
प्रति अटूट
प्रेम उत्पन्न करना। शिक्षा सबसे शक्तिशाली हथियार है
जिसके द्वारा विश्व में
सामाजिक परिवर्तन लाया जा
सकता है।
21वीं सदी
की शिक्षा का स्वरूप 20वीं सदी
की शिक्षा से भिन्न
अर्थात 21वीं सदी की
शिक्षा का
स्वरूप विश्वव्यापी तथा समस्त
मानव जाति
के कल्याण का होना
चाहिए। 21वीं सदी का
विश्व राष्ट्रीयता से एक
कदम आगे
बढ़कर अन्तर्राष्ट्रीयता के रूप
में विस्तार चाहता है।
विगत 63 वर्षों में सीएमएस के लाखों
छात्र विश्व
के विभिन्न देशों में
उच्च तथा
महत्वपूर्ण पदों
पर असीन
होकर भारतीय संस्कृति के
आदर्श वसुधैव कुटुम्बकम् को
साकार करने
में योगदान दे रहे
हैं। हमारा
मानना है
कि वैश्विक महामारी कोरोना, अन्तर्राष्ट्रीय आतंकवाद, घातक शस्त्रों की होड़
तथा तृतीय
विश्व युद्ध
की आशंका
के स्थायी समाधान के
लिए एक
वैश्विक लोकतांत्रिक व्यवस्था के
अन्तर्गत विश्व
संसद का
समय रहते
गठन करना
होगा। इसके
पश्चात् ही
मानव सभ्यता की गुफाओं से शुरू
हुई यात्रा का अन्तिम लक्ष्य संसार
में आध्यात्मिक सभ्यता की
स्थापना का
मार्ग प्रशस्त होगा।
-
जय जगत
-
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